माँ दुर्गा का दूसरा स्वरुप – ब्रह्मचारिणी
जैसा की हम सब जानते है की चैत्र नवरात्री का महापर्व चल रहा है और ये नौं दिन पूर्ण रूप से माँ दुर्गा की भक्ति को समर्पित रहतें है| नवरात्री का हर दिन देवी माँ के किसी न किसी स्वरुप को समर्पित है|
आज नवरात्री का दूसरा दिन है और हम यहाँ जानेगें की दुसरे दिन देवी माँ के कौनसे रूप को पूजा जाता है|
नवरात्री का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित है|
हम जानते है की माता पार्वती ने भगवान् शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, ब्रह्मचारिणी, माता पार्वती का तपस्या में लीन स्वरुप ही है| इनके दाएं हाथ में माला है और बाएं हाथ में कमंडल है| ब्रह्मचारिणी शब्द दो शब्दों “ब्रम्ह” और “चारिणी” की संधि से बनता है, ब्रम्ह का अर्थ होता है तपस्या, संयम; वहीं चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली| अतः ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ संयम पूर्ण तपस्या करने वाली| माँ ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को संयम देती है जो की भक्तों को कठिन से कठिन समय में भी धर्म के मार्ग पर टिके रहने में सहायक होता है| माँ ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से मनुष्य हर परिस्तिथि पर विजय प्राप्त करता है|
कुछ तंत्र विद्या में विश्वास करने वाले लोग इस दिन भगवती की कृपा से कुण्डलिनी जागृत करते हैं, जो की उन्हें उच्च कोटि तंत्र साधना करने में मददगार साबित होती है| जो भी मनुष्य किसी भी प्रकार की साधना करना चाहता हो उसके लिए माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना विशेष रूप से फलदायी होती है|
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु |
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
श्री राम जय राम जय जय राम
मेरे राम की जय हो