माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप – कूष्माण्डा
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माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप – कूष्माण्डा

जैसा की हम सब जानते है की चैत्र नवरात्री का महापर्व चल रहा है और ये नौं दिन पूर्ण रूप से माँ दुर्गा की भक्ति को समर्पित रहतें  है| नवरात्री का हर दिन देवी माँ किसी न किसी स्वरुप को समर्पित है|

आज नवरात्री का चौथा दिन है और हम यहाँ जानेगें की चौथे दिन देवी माँ के कौनसे रूप को पूजा जाता है|

नवरात्री का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा को समर्पित है|

माँ कूष्माण्डा मंद मुस्कान के साथ सिंह पर विराजमान है, इनके ८ हाथ होने की वजह से इन्हे अष्टभुजा भी कहा जाता है, माँ कूष्माण्डा के ८ हाथों में विविध प्रकार के अस्त्र-शस्त्र है| इनका मुखमण्डल १ मंद सी  मुस्कराहट से सुशोभित है, इसी वजह से इन्हे कूष्माण्डा नाम से जाना जाता है|

माँ कूष्माण्डा का मुखमण्डल प्रस्सन चित्त का है, चूँकि माँ का निवास सूर्य मंडल के अंदर स्तिथ है इसीलिए इनके स्वरुप में १ अलग ही प्रकार का प्रकाश है||

माँ कूष्माण्डा ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति अण्ड से की थी इसीलिए इनका नाम कूष्माण्डा पड़ा| देवी माँ अपने भक्तों के रोगों और शोकों का तुरंत हरण कर लेती हैं और जीवन में आरोग्य और यश स्थापित कर के मनुष्य का जीवन संवार देती है|

माँ कूष्माण्डा सभी प्रकार से अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित है और चराचर सृष्टि के कल्याण के लिए संकल्पित है| इसी कारण सारे लोकों की दुष्ट शक्तियां माँ से भयाक्रांत रहती है|

नवरात्री के चौथे दिन भक्तों को चाहिए की वो माँ कूष्माण्डा के ममतामयी ब्रह्म स्वरुप को याद करते हुए दिन को बिताएं|

कूष्माण्डा  का मंत्र-

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे ll

श्री राम जय राम जय जय राम
मेरे राम की जय हो

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