राहु:- सुख का कारण या दुःख का कारण?

राहु:- सुख का कारण या दुःख का कारण?

जहां तक मेरा मनना है, आज के इस आधुनिक दौर में भी लोग ज्योतिष, भविष्य फल जैसे शब्दों को अपने जीवन में विशेष महत्व देते है | यदि मै गलत नहीं हूँ तो शायद, आप भी देते होंगे |

तो चलिए कुछ बाते करते है, इन्ही शब्दों को गहराई में जानने का एक अथक प्रयास करते है| वैसे अगर सच कहुँ तो मेरा मानना ये  है की कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से ज्योतिष को नहीं समझ पाया है| हाँ पंचांग, नक्षत्र , राशिफल , कुंडली, ग्रह इत्यादि से हम ज्योतिष पर अध्ययन कर सकते है |

ज्योतिषीय भविष्यवाणी के लिए ग्रहों की स्थिति और दशाओं का अध्ययन किया जाता। इन ग्रहों का अपना स्वभाव और अपनी प्रकृति होती है। ये मनुष्य जीवन में प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं। आज हम ग्रहों के विषय में चर्चा करते है| आइये, इनसे होने वाले सकारात्मक तथा नकरात्मक प्रभाव या महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं |

ज्योतिष में कुल 9 ग्रह हैं जिन्हें नवग्रह कहा जाता है, जो निम्नलिखित है : –

  1. सूर्य ग्रह
  2. चन्द्र ग्रह
  3. मंगल ग्रह
  4. बुध ग्रह
  5. बृहस्पति ग्रह या गुरु ग्रह
  6. शुक्र ग्रह
  7. शनि ग्रह
  8. राहु ग्रह
  9. केतु ग्रह

इनमे से सूर्य और चंद्रमा को भी ग्रह माना जाता है। इसके अलावा मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु-केतु भी इनमें शामिल हैं। वैसे तो  राहु और केतु ग्रह को छाया ग्रह कहा जाता है। इन ग्रहों की अपनी एक अलग प्रकृति और अपना भिन्न स्वभाव होता है। अपनी विशेषता के कारण इनमें से कुछ ग्रह शुभ और  कुछ अशुभ ग्रह होते हैं।

हालांकि, सभी ग्रहो को एकसाथ समझना और समझाना मुश्किल होगा , इसलिए हम आज बात करेंगे केवल राहु ग्रह के बारे में |

राहु क्या हैं?

Rahu Grah ar uske upaye

अगर बात करे  इस ग्रह की उत्पति की,  तो पौराणिक ग्रंथ में लिखा गया है की जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला तो अमृतपान के लिए देवताओं और असुरों के बीच संग्राम होने लगा। इसी बीच भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और देवताओं तथा असुरों को दो अलग-अलग पंक्तियों में बिठाया |

असुर विष्णु भगवान् की सुंदर काया को देख कर अमृतपान को भूल गए | तभी उधर चालाकी से भगवान विष्णु  देवतावो को अमृतपान कराने लगे| इसी बीच एक घटना घटी और स्वर्भानु नामक असुर वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया और अमृत के घूँट पीने लगा | तदुपरांत, सूर्य और चन्द्रमा ने भगवान विष्णु को उसके असुर होने का आभास कराया | तब तक वो असुर अमृतपान कर ही रहा था | अमृत गले से निचे उतरने ही वाला था की बिना समय गवाए विष्णु भगवान् ने अपने चक्र से स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया | हालांकि, अमृत की बूंदे उसके मुख में थी, जिसके कारण उसका सिर अमरता को प्राप्त हो गया और राहु कहलाया।  ज्योतिष में ये दो भाग सिर को राहु और धड़ को केतु नामक ग्रह से जाने जाते हैं।

राहु ग्रह खगोलीय दृष्टि से कोई ग्रह भले ही न हो लेकिन ज्योतिष में राहू  का बहुत ज्यादा महत्व है। साथ ही साथ मै आपको ये बता दूँ की राहु के साथ केतु का भी नाम लिया जाता है क्योंकि दोनों एक दूसरे के विपरीत बिंदुओं पर समान गति से गोचर करते हैं। राह-केतु को जन्म से ही वक्री ग्रह माना जाता है।

हमारी बुद्धि का कारण राहु ग्रह है। लाल किताब के अनुसार कुंडली में राहु के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है।

किसी इंसान  की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो मनुष्य को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है।

किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित बारह भाव उसके संपूर्ण जीवन को दर्शाते हैं और जब उन पर राहु  का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति-विशेष के जीवन में उसका असर भी दिखाई देता है।

तो आइये अब जानते है राहु के वजह से होने वाले  सकरात्मक तथा नकरात्मक प्रभाव के बारे में |

सरल भाषा का उपयोग करते हुए कहे तो राहु ग्रह की वजह से होने वाले सुख तथा दुःख | ततपश्चात आप खुद ही समझ जायेगे की राहु आपके जीवन में सुख लाता है या दुःख का कारण साबित होता है |

राहु का मतलब सुख या फिर गलत धारणा?

  • अगर देखा जाये तो लोगो का ये मानना है की राहु मनुष्य को हमेसा बुरे फल ही देता है | पर ऐसा नहीं है |
  • राहु के ही प्रभाव से व्यक्ति बहादुर, बलवान और निडर बनता है | युद्ध में लड़ने वाले, वीर गति को प्राप्त करने वाले , प्रेमी इत्यादि जातको की कुंडली में राहु बलवान होता है |
  • राहु के कारण ही मनुष्य आत्मविश्वाश से भरपूर होता है |
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु 3, 6 व 11वें भाव में बलवान बनता है और सुख का कारण साबित होता है |
  • राहु का शुभ सूर्य के साथ अथवा सूर्य के नक्षत्र में होना राजयोग जैसा फल देता है।
  • मनुष्य की कुंडली में राहु का शुभ चंद्र के नक्षत्र में होने पर जातक खेती में सफलता प्राप्त करता है।
  • ये ग्रह आपकी कमाई को भी बढ़ता है | इसी के योग से आपका समुद्री यात्राओं का संयोग बनता है।
  • यदि राहु का मेल बुध के साथ हो जाता है, तो ये आपको उच्च शिक्षा, व्यापर में बढ़ोतरी जैसे फल देता हैं |  
  • मंगल के साथ होने पर ये आपको जेलर जैसे नौकरी दिलाने में मददगार हो सकता है |
  • गुरु के साथ होने पे ये आशीर्वाद सम्बंधित जैसे की  चुनाव में जीत आदि कार्यो में विजय दिलाता है |

कुल मिला कर कहे तो यदि राहु किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुभ हो तो वह उसकी किस्मत को उचाईयो पर ले जा सकता है।

राहु: दुःख का कारण?

  • यदि किसी मनुष्य के कुंडली में राहु पीड़ित हो तो वो व्यक्ति के लिए नकरात्मक साबित हो सकता है|
  • इसके वजह से ही मनुष्य बुरी आदतों का शिकार होता  है | राहु की वजह से ही मनुष्य छल, कपट जैसी गलत धारणाओ को अपने अंदर प्रवेश करने की अनुमति देता है|
  • मनुष्य मांस, मदिरा तथा अन्य मादक पदार्थ का सेवन करता है |
  • शारीरिक समस्याओ का होने में भी राहु ग्रह का असर  होता है | समस्याएँ जैसे की पागलपन, आँतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि ।

तो इतनी सारी बातो के बाद आप भी समझ गए होंगे राहु ग्रह से पड़ने वाले प्रभाव को | अगर उपर्युक्त बातों को संक्षिप्त किया जाये तो ये कह सकता हूँ  की राहु का प्रभाव कुंडली में उपस्थित भागो के ग्रहो के साथ मेल करने पर होता है |

अगर राहु आपको परेशान करता है तो आप निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते है :-

राहु का वैदिक मंत्र
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा। कया शचिष्ठया वृता।।

राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः

राहु का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

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